प्रेम और भोजन


प्रेम और भोजन बड़े गहरे जुड़े हैं। इसीलिए तो जब तुम्हारा किसी से प्रेम होता है तो तुम उसे भोजन के लिए घर बुलाते हो। क्योंकि बिना भोजन खिलाए प्रेम का पता कैसे चलेगा। जो तुम्हें बहुत प्रेम करता है, वह तुम्हारे लिए भोजन बनाता है। जब कोई स्त्री अपने प्रेमी के लिए भोजन बनाती है, तो सिर्फ भोजन ही नहीं होता, उसमें प्रीति भी होती है। होटल के भोजन में प्रीति तो नहीं हो सकती। तो शरीर तो तृप्त हो जाएगा, लेकिन कहीं प्राण खाली—खाली रह जाएंगे। मां जब अपने बेटे के लिए भोजन बनाती है तो चाहे भोजन … Continue reading प्रेम और भोजन

प्रेम खतरनाक है, संभोग नहीं


जो लोग प्रेम से डरे होते हैं, वे संभोग से भयभीत नहीं होते हैं प्रेम खतरनाक होता है, संभोग नहीं, क्योंकि इसे तो मैनिपुलेट किया जा सकता है। यह एख तकनीक में बदल सकता है। औऱ आजकल बहुत से मैनुअल आ गए हैं कि शारीरिक संबंध कैसे बनाएं लेकिन प्रेम कभी तकनीकी नहीं हो सकता संभोग में भी एक हद तक ही आफ नियंत्रण रख सकते हैं एक समय के बाद अल्टीमेट तक पहुंचने के लिए आपको नियंत्रण छोड़ना ही पड़ता है इसीलिए ऑर्गैजम दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है। स्खलन का मतलब ऑर्गैजम नहीं है, बच्चे को … Continue reading प्रेम खतरनाक है, संभोग नहीं

शांति कैसे मिलेगी?


मेरे पास न मालूम कितने लोग आते हैं। वे कहते हैं, शांत कैसे हों? मैं उनसे पूछता हूं कि पहले तुम मुझे बताओ कि तुम अशांत कैसे हुए? क्योंकि जब तक यह पता न चल जाए कि तुम कैसे अशांत हुए, तो शांत कैसे हो सकोगे! एक आदमी मेरे पास लाया गया। उसने कहा, मैं अरविंद आश्रम से आता हूं। शिवानंद के आश्रम गया हूं। महेश योगी के पास गया हूं। ऋषिकेश हो आया। यहां गया, वहां गया। रमण के आश्रम गया हूं। कहीं शांति नहीं मिलती। तो किसी ने आपका मुझे नाम दिया तो मैं आपके पास आया हूं। … Continue reading शांति कैसे मिलेगी?

कृष्ण हंसते-खेलते लोगों को जिंदगी जीना सिखाते हैं…


ओशो के अनुसार मनुष्य की जो अंतिम संभावना है वह है कृष्ण। कोई भी अथक प्रयास करके अपने भीतर के कृष्ण को जगा सकता है। यही है कृष्ण की पूजा Continue reading कृष्ण हंसते-खेलते लोगों को जिंदगी जीना सिखाते हैं…

कृष्ण कहते हैं, पवित्र करने वालों में मैं वायु हूं। और शस्त्रधारियों में राम हूं।


यह बहुत प्यारा प्रतीक है। राम के हाथ में शस्त्र बहुत कट्राडिक्टरी है। राम जैसे आदमी के हाथ में शस्त्र होने नहीं चाहिए। राम का चित्र आप थोड़ा खयाल करें। राम के शरीर का थोड़ा खयाल करें। राम की आंखों का थोड़ा खयाल करें। राम के व्यक्तित्व का थोड़ा खयाल करें। शस्त्रों से कोई संबंध नहीं जुड़ता। राम, शस्त्रों के साथ, बड़ी उलटी बात मालूम पड़ती है। न तो राम के मन में हिंसा है, न राम के मन में प्रतिस्पर्धा है, न राम के मन में ईर्ष्या है। न राम किसी को दुख पहुंचाना चाहते हैं, न किसी को … Continue reading कृष्ण कहते हैं, पवित्र करने वालों में मैं वायु हूं। और शस्त्रधारियों में राम हूं।