जीवन का महामंत्र हनुमान चालीसा


मेरे भगवान मेरे अत्यंत प्रिय कवि संत कबीरदास की इन महान पंक्तियों को जीने का साहस मैं तो नहीं कर सका, लेकिन इन पंक्तियों को ज्यों का त्यों जीते हुए को देखने का सुयोग मुझे जरूर मिला है, और वह भी बहुत ही कच्ची उम्र में। यह पंक्ति है, “आप ठगे सुख उपजै, और ठगे दुख होय”, और इस पंक्ति के एक-एक अक्षर को अपनी जिन्दगी के हर-एक लम्हे में जीने वाले शख्स थे, मेरे दादा जी, मेरे वे दादा जी, जिनकी गुदगुदी तोंद मेरे लिए खेल का आँगन थी। ‘दूसरों को ठगो मत’, यहाँ तक तो बात ठीक है। … Continue reading जीवन का महामंत्र हनुमान चालीसा