खुश रहिए-खुश रखिए..। इसमें खुश रहना तो आसान है, पर खुश रखना कठिन है। लेकिन, खुशी पूरी तब ही होती है, जब आप खुद भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रख सकें। जैसे-जैसे जीवन में दौड़-भाग बढ़ी, प्राथमिकताएं बदलीं और मनुष्य के तनाव बढ़ते गए। इसलिए मनुष्य ने खुश रहने के लिए नए-नए तरीके ईजाद किए। सात साल पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात पर विचार किया गया कि खुशी लोगों को समझाई जाए। खुशी एक फैक्टर बन गया।
खुश रहना मनुष्य का मूल स्वभाव था, पर इसके लिए आयोजन किए जाने लगे। 20 मार्च को जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुशी दिवस के रूप में मनाया जा रहा हो, तब इसेे अपनी दुनिया में भी उतारिए। मनुष्य को खुशी वस्तुओं से, परिस्थितियों से और व्यक्तियों से मिलती है। आपके सहकर्मी, व्यावसायिक संबंध वाले लोग, मित्र-रिश्तेदार, माता-पिता, बच्चे तथा जीवन साथी।
व्यक्तियों का एक लंबा दायरा है जहां से आपको खुशी मिलती है। हो सकता है इन्हीं लोगों से दुख भी मिलता हो, पर खुशी के मामले में पहला काम करना है खुशी की तलाश। जीवन में वो कौन से बिंदु और स्थितियां हैं जहां खुशी मिल सकती है, सबसे पहले इन्हें तलाशिए, उसके बाद खुशी का स्वागत कीजिए। तीसरी स्थिति है, उसे बटोरिए और चौथी स्थिति में उस खुशी को औरों में बांटिए। बस, यहीं से बात समझ में आ जाएगी कि खुश रहिए-खुश रखिए। जीवन की वास्तविक खुशी इसी में है..।
khush rkhne v khush rhne me hi asli khushi.