घबराने का वक्त गुजर गया। डरने का समय भी बीत गया। अब करने का समय है। कुछ न कुछ करिए, कुछ न कुछ कमाइए। अब चारों ओर अव्यवस्थाएं कम देखिए, अवसर पर ज्यादा नजर रखिए। जब भी कमाने की बात आती है, लोगों के दिमाग में धन ही घूमता है।
सही भी है, धन हमारी पहली जरूरत है और कमाने के अवसर मिलें इससे अच्छा और क्या है? लेकिन धन के साथ कुछ और भी कमा सकते हैं। पद-प्रतिष्ठा, व्यवहार, नेकी ये सब भी कमाने की चीजें हैं। इनके साथ अभी दो चीजें और कमाइए स्वास्थ्य व शांति। घर में हों या बाहर, अब खाली बैठने का समय नहीं रहा। इसका पूरा ध्यान रखें कि जो भी करें, सावधानी से करें।
जितना भी कमाएं, परिश्रम व ईमानदारी से कमाएं। अब दोहरी जिम्मेदारी निभानी होगी। देशवासियों के साथ यदि देश भी धनवान नहीं हुआ तो आत्मनिर्भरता के प्रयास झूठे साबित होंगे। जब कुछ करने निकलें तो भीतर उत्साह, सजगता और सावधानी रखना है।
कुछ कमाने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करना पड़ेगा, योजना बनाना पड़ेगी, जीवटता से परिणाम तक भी पहुंचना पड़ेगा। राम जब वनवास पर गए तो चौदह वर्ष वन में ही गुजारना थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने लोकनायक की छवि भी कमाई। उन्होंने अर्जित किया एक सुव्यवस्थित-सुगठित राज्य जो रावण को मारकर मिला था। इसलिए कुछ अच्छा सोचते चलिए, अर्जित करते चलिए..।
kamane ke liye koi lakshya nirdharit kare.