हम सभी के पास दस इंद्रियां हैं। पांच कर्मेंद्रियां (हाथ, पैर, मल-मूत्र की दो इंद्रियां और कंठ) तथा पांच ज्ञानेंद्रियां (आंख, नाक, कान, जीभ और त्वचा)। इनको केवल शरीर का सामान्य अंग मानने की भूल न करें, बल्कि इनके प्रति बहुत अच्छा और गहरा परिचय रखिए। हर इंद्री के भीतर इतनी संभावना है कि यदि आपने उस सोई हुई संभावना को जगा लिया तो ये अकल्पनीय परिणाम देंगी।
इतिहास में व्यक्त है कि एक आदमी को दिन में तारे दिखने लगे। सुनकर आश्चर्य होता है कि दिन में सूरज की रोशनी में तारे कैसे दिख सकते हैं, क्योंकि आसमान में तारे उसी समय दिख सकते हैं जब तक सूरज नहीं होता। लेकिन उस आदमी को दिखने लगे। विज्ञान मान भी गया कि उस व्यक्ति की आंखें इतनी जागृत हो गईं कि वह प्रकृति के उस हिस्से को देखने लगा जिसका संबंध किसी अद्वैत शक्ति से है।
यह तो केवल आंख का उदाहरण है। सच तो यह है कि हमारी हर इंद्रीय के पास एक ऐसी दबी-छिपी शक्ति है जिसे हम अपने ही प्रयत्न से उजागर कर सकते हैं। सदाचार, स्वाध्याय, संयम, संतुलन ये कुछ तरीके हैं जिनसे अपनी इंद्रियों के भीतर की शक्ति को बाहर निकाला जा सकता है। हमारी एक-एक इंद्री अद्भुत है और इनके चमत्कार के आगे विज्ञान भी मौन होकर शोध में लग जाता है कि आखिर मनुष्य के शरीर का कोई अंग कैसे ऐसा दिव्य हो सकता है। इसलिए इनके भीतर की संभावनाओं को जगाए रखिए।
indriyo ke bhitar sambhavnae jagae.