सांस पर ध्यान देकर अच्छे को मजबूती दें

जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। यह आदर्श वाक्य हमारे बड़े-बूढ़े और कभी-कभी हम लोग भी दूसरों को समझाने के लिए कहा करते हैं। कोई परेशानी में हो, तब यह समझाइश दी जाती है कि जो हुआ, अच्छा ही हुआ होगा। लेकिन, ध्यान दें यह कहने से ज्यादा देखने की स्थिति है। यहां मतलब नज़रिये से है। वास्तविकता तो यह है कि जो हुआ होता है, बुरा हो चुका होता है, पर यह वाक्य इसलिए कहा जाता है कि आपका दृष्टिकोण बदल जाए। तब जो परिणाम आपको मिला है उसकी पीड़ा कम हो जाएगी। कुछ मछुआरे समुद्र में रास्ता भूल गए थे। अंधेरे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था और तय था कि उनकी नाव डूब जाएगी, सब मर जाएंगे। अचानक उन्होंने आग देखी। वे समझ गए कि कोई बस्ती है। तुरंत वहां पहुंचे। वह बस्ती उन्हीं की थी। उनके झोपड़ों में आग लग गई थी। उनके घर वाले रो रहे थे पर मछुआरे कह रहे थे कि आग न लगती तो हम रास्ता भटकने से डूबकर मर गए होते। यहां अच्छाई भी है और बुराई भी। अब देखने का दृष्टिकोण बनाना है। यह शब्द हमें समझाता है कि समस्या को बड़ा मत होने देना। समस्या जब बड़ी होती है तो फिर वह अकेली नहीं रह जाती, अपने साथ बहुत सारी दूसरी परेशानियां भी लेकर आती हैं। जो होता है, अच्छा होता है इस बात को यदि मजबूत करना हो तो अपनी सांस पर ध्यान दीजिए। विपरीत परिस्थिति में हमारी सांस तेज चलती है और सांस पर ध्यान देने का मतलब है योग।


saans par dhyan dekar achhe ko majbooti de.

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