आपने जैसा सोचा हो, जैसा चाहते हों, यदि वैसा न हो तो क्या किया जाए? ऐसी स्थिति या समस्या किसी के भी जीवन में आ सकती है। श्रीकृष्ण एक ऐसा अवतार थे, जिन्हें किसी धर्म विशेष से जोड़कर देखना ठीक नहीं होगा। वे तो समूची मानवता की रक्षा के लिए धरती पर आए थे। यदि कोई उन्हें हिंदू धर्म से अलग रखकर भी उनकी जीवनशैली से सीखना चाहे तो दुनिया का एक बहुत बड़ा जीवन प्रबंधन हाथ लग जाएगा। वे प्रतिपल विपरीत परिस्थितियों में जीये। दुनिया में मनुष्य की बुद्धि के भीतर जितने प्रयोग हो सकते हैं, वे सारे श्रीकृष्ण ने किए। जिस पराक्रम व परिश्रम की अपेक्षा आज किसी भी मनुष्य से की जा सकती है, उसके एक से एक उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किए क्या गजब की लीलाएं की हैं..। एक उम्र में गोपियों के घर बहुत उधम मचाया और उसी ऊर्जा को कुरुक्षेत्र में नेतृत्व देकर पूरा किया। ऊर्जा सबके भीतर है। उसका कब, कैसा रूपांतरण करना, यह हमें श्रीकृष्ण सिखा गए। विचार कीजिए, जिस व्यक्तित्व के पास हजारों स्त्रियां पत्नी के रूप में हों, ये स्त्रियां उनके जीवन में कैसे आईं, यह अलग कथा है। किंतु ऐसा व्यक्ति भी भोग-विलास से मुक्त रहा। कृष्ण निष्काम थे। चरित्र के मामले में अद्भुत थे। आज परिवार में हों या बाहर, अगर जीवन के किसी भी क्षेत्र में संघर्ष कर रहे हैं तो कृष्ण के विचारों से, उनकी जीवनशैली से जुड़िए। आप पाएंगे कठिन से कठिन परिस्थिति भी इस व्यक्तित्व के चरित्र के संकेतों से सरल हो जाएगी।
krishna ke jivan me har samasya ka hal.